यह Rshi Aur Chor Moral Stories in Hindi हमने आपके लिए विशेष रूप से चुना है। इस नैतिक कहानिया को पढ़कर आपको कुछ अच्छी शिक्षा मिलेगी, जो आपको इस दुनिया को समझने में मदद करेगी।
इस लिख में हमने आपके साथ ऋषि और चोर एक नैतिक कहानिया साझा किया है। जो स्वामी विवेकानंद जी और उसकी घर में चोरी करने बाला एक चोर की है। यह कहानियां कुछ आछी शिक्षाप्रद कहानियां में से एक है।
और हम इसलिए आशा करते हैं, कि हमारी यह ऋषि और चोर नैतिक कहानी हिंदी पढ़कर आपको बहुत आनंद आएगा। हमारे पास ऐसे ही कुछ और नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ है, चाहे तो आप इसे भी पड़ सकते है।
ऋषि और चोर नैतिक कहानिया | Rshi Aur Chor Moral Stories in Hindi

एक बार की बात है, गाजीपुर में एक ऋषि था। गंगा नदी के किनारे वह अपनी छोटी सी कुटिया में रहते थे। बहुत से लोग उनसे मिलने के लिए, उनके पास जाते थे।
लोग प्रसाद खरीद कर उनका अभिवादन करते थे। एक दिन एक चोर वहां से गुजर रहा था। उसने ऋषि की कुटिया को देखा और कुछ देर तक उसे देखता रहा।
उसने देखा वहां चांदी के बहुत से बर्तन थे। और सभी उसकी कुटिया कि एक कोने में, एक छोटी सी जगह में रखे हुए थे।
एक रात चोर खिड़की से छुपकर उसकी कुटिया में घुस गया। और चांदी के बर्तन चुरा कर अपने बैग में रखने लगा। ऋषि अपनी कुटिया के ठीक बाहर ध्यान कर रहे थे।
जैसे चोर बर्तन चुरा रहा था। उसने कुछ आवाज किया, जिसे ऋषि ने सुना। फिर ऋषि ने अंदर आकर चोर को देखा। ऋषि को देखकर चोर बहुत डर गया।
और बर्तनों का बैग वहां छोड़कर चोर वहां से भागने लगा। फिर ऋषि तुरंत वह बैग लिया और चोर के पीछे पीछे भागने लगा। जल्दी ऋषि ने चोर को पकड़ लिया।
चोर बहुत डर गया। फिर ऋषि ने उनसे कहा, “क्यों भाग रहे हो? तुम डरते क्यों हो? अपना बैग पीछे छोड़ दिया, यह लो यह तुम्हारा बैग है। तुम मेरे साथ आओ मैं तुम्हें कुछ और दूंगा।”
ऋषि ने चोर को अपने साथ आने के लिए कहा। और चोर को अपना कुटिया में जो कुछ भी था, उसे देख कर घर भेज दिया।
Rshi Aur Chor Moral Stories in Hindi
बरसों बाद स्वामी विवेकानंद जी एक तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे। और उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति बहुत ज्यादा ठंड मे रास्ता पर असहाय पड़ा हुआ है।
यह देखकर, स्वामी विवेकानंद जी ने अपना कंबल निकालकर उस असहाय व्यक्ति को दे दिया। आदमी ने स्वामी जी की और देखा और स्वामी जी को उस चोर और ऋषि की कहानी सुनाने लगा।
उस आदमी ने कहानी सुनाते हुए कहा, “क्या आप गाजीपुर के उस ऋषि बाबा के बारे में जानते है? मैं वह चोर हूं।
जिस दिन से ऋषि ने मुझे छुआ, उसी दिन से मेरे जीवन में परिवर्तन आ गया। मैंने चोरी करना छोड़ दिया है। और मैंने अपने अतीत में किए गए पापों का प्रायश्चित कर रहा हूँ।”
स्वामी विवेकानंद जी सच्चे हिंदू ऋषि की सच्ची शक्ति और उनके आसपास के लोगों पर उनके सकारात्मक प्रभाव के बारे में बताने के लिए, इस कहानी को साझा किया है।
नैतिक शिक्षा : अच्छी संगति में रहना और आध्यात्मिक ज्ञान वाले किसी व्यक्ति से मिलना हमारे जीवन को सही दिशा दे सकता है।
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तो दोस्तों हम आशा करते हैं, कि आपको ऋषि और चोर नैतिक कहानिया पढ़कर जरूर अच्छी लगी होगी। और कृपया करके इन कहानियाँ को आप अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर जरूर करें।
ताकि, हर कोई इन मजेदार शिक्षावर्धक कहानियों को पढ़ सके। हमारे आज के विषय Rshi Aur Chor Moral Stories in Hindi तो पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।