10 Best Moral Stories in Hindi for class 9 | नैतिक कहानियाँ 2022

इस लेख में हमारे पास नैतिक शिक्षा के साथ 10 Best Short Moral Stories in Hindi for class 9 का समग्र है। यह १० नैतिक कहानियाँ हमने आपके लिए विशेष रूप से चुना है।

हर कहानियां मैं आपको कुछ ना कुछ नैतिक शिक्षा मिलेगी जो लोग और दुनिया को समझने में मदद करेगी। इनमें से कुछ नैतिक कहानियां बहुत छोटी और बुनियादी है।

इसलिए, पढ़ते समय आपकी ध्यान इन कहानियों में बनी रहेगी। Hindi moral stories for class 8 बहुत ही रोचक और शिक्षावर्धक है। जिन्हें पढ़कर आपको अनंत भी आएगा और नैतिक शिक्षा भी मिलेगी। इन शिक्षा को प्रयोग करके आप जीवन में सफलता पा सकते हो।

 

10 Best Moral Stories in Hindi for class 9 | नैतिक कहानियाँ 2022

 

1. चोरी का कार्य Moral Stories in Hindi for class 9

चोरी का कार्य Moral Stories in Hindi for class 9
चोरी का कार्य – Moral Stories in Hindi for class 9

एक बार रामकृष्ण, अपने शिष्यों को अपने ही घर से थोड़ा चावल चोरी करने के लिए कहा। लेकिन एक शर्त थी, कि कोई भी उन्हें चावल चोरी करते हुए नहीं देखना चाहिए।

एक हफ्ते बाद एक को छोड़कर उनके सभी शिष्यों चावल के साथ वापस आया। सभी शिष्यों बहुत खुश था क्योंकि वे सब को छुपा कर घर से चावल चुराने के लिए दिए गए कार्य को पूरा करने में सक्षम रहे।

फिर रामाकृष्ण उस शिष्यों से खाली हाथ आने का कारण पूछा। शिष्यों ने उसे बताया, कि वह घर में सभी से छुपकर चावल चोरी करने की कोशिश की।

लेकिन वह हमेशा खुद को चावल चुराते हुए देखता है। इसलिए कोई भी स्थिति नहीं थी जब वह चावल चुरा सकता है, और कोई भी उसे नहीं देख रहा है।

क्योंकि हम जो भी करते हैं, वह कभी एक व्यक्ति से छुपा नहीं होता है और वह है हमारा आत्मा। और वह शिष्यों जो खाली हाथ आया था वह स्वामी विवेकानंद था।

नैतिक शिक्षा : जब भी हम कुछ गलत करने की कोशिश करते हैं। भले ही हम सब से छुपकर करें, लेकिन हम इसे अपने से छुपा नहीं सकते।

 

 

2. लोमड़ी और सारस Hindi story for class 9 with moral

लोमड़ी और सारस Hindi story for class 9 with moral
लोमड़ी और सारस – Hindi story for class 9 with moral

एक बार जंगल में एक लोमड़ी और एक सरस पड़ोसी जैसा रहता था, दोनों बहुत ही अच्छा दोस्त था। लेकिन लोमड़ी बहुत चालाक थी, वह दूसरों के साथ चालाकी करता था।

एक बार लोमड़ी की जन्मदिन पर लोमड़ी उसकी सभी दोस्तों को आमंत्रण किया, सारस को भी आमंत्रण किया। लोमड़ी ने अपने जन्मदिन पर सारस के साथ चालाकी करने का सोचा।

शाम होते ही सारस लोमड़ी के जन्मदिन पार्टी मैं उसके घर गया। सारस आते ही लोमड़ी उसका शुक्रिया अदा किया, और दोनों खाना खाने के लिए टेबल पर गया।

लोमड़ी ने सारस के साथ चालाकी करने के लिए चिकन सूप बनाया था। सूप एक प्लेट में डालकर सारस को पीने के लिए दिया, और एक प्लेट अपने लिए रखा।

लेकिन सूप प्लेट में होने के कारण सारस उसे पी नहीं पाया। सारस सूप पीने के लिए बहुत कोशिश किया, लेकिन उसकी हॉट लंबी होने के कारण नहीं पी पाया।

लोमड़ी ने सूप आराम से पिया उसने चिकन सूप का आनंद लिया। और सारस दुखी होकर घर लौट गया, लेकिन सारस लोमड़ी की चालाकी समझ गई थी।

कुछ दिन जाने के बाद सारस की जन्मदिन आया, उसने लोमड़ी को सबक सिखाने के लिए उसे आमंत्रण करने गया उसके घर पर। लोमड़ी सरस को देखकर मन मन सोचा।

“यह सारस कितना बेवकूफ है मैं उसे इतना बेवकूफ बनाया, फिर भी आया मुझे आमंत्रण करने।” फिर लोमड़ी ने सारस की जन्मदिन पार्टी में गया उसके घर पर। सारस लोमड़ी को देख कर कहा,

“तुम आ गए हो दोस्त, मेरा भाई आज बहुत ही अच्छा चिकन सूप बनाया है, चलो हम दोनों जाकर सूप पीते हैं।” इस बार सारस लोमड़ी को सबक सिखाने के लिए चिकन सूप ग्लास में दिया।

लोमड़ी की मुंह ग्लास के अंदर जा नहीं पाया, लेकिन सारस उसकी होठों को सूप में डूबा कर आराम से पिया। लोमड़ी ने बहुत कोशिश करने की बावजूद उसने सूप पी नहीं पाया।

उसने सोचा यह सारस तो मुझसे भी ज्यादा चालाक है, लोमड़ी को अपनी गलती का एहसास हुआ। लोमड़ी ने सारस से माफी मांगा, फिर दोनों अच्छा दोस्त बनकर खुशी से रहने लगा।

नैतिक शिक्षा : सबके साथ ऐसा उपयोग करो, जैसा उपयोग तुम्हें मिलना चाहिए।

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3. लाभदायक लेनदेन Short Moral story in Hindi for class 9

लाभदायक लेनदेन Short Moral story in Hindi for class 9
लाभदायक लेनदेन – Short Moral story in Hindi for class 9

गुरु नानक जी के पिता जानते थे कि नानक जी लोगों से संवाद करना पसंद करता है। इसीलिए उन्होंने फैसला किया, उसकी बेटी नानक जी को पैसा कमाना सीखना होगा।

इसलिए एक दिन गुरु नानक के पिता ने भाई वाला को ₹20 दिए और कहां, “नानक के साथ बाजार में जाओ इन पैसों से कुछ खरीदो और उन्हें लाभदायक दर पर बेचो।”

इसीलिए नानक उसकी भाई बाला के साथ कुछ सामान खरीदने के लिए बाजार में गए। जब वे अपने गाँव से दस मील दूर थे, तब उनका सामना हर्मिट्स का एक समूह से होता है।

जो एक पेड़ के नीचे बैठे थे। उन्हें देखकर नानक जी भाई बाला को कहा, “पिता ने हमें कुछ लाभदायक लेनदेन करने के लिए कहा,

और इन हर्मिट्स को खिलाने से ज्यादा लाभदायक कुछ नहीं हो सकता। मैं सच्चा लाभदायक लेनदेन करने के लिए, इस तरह के शानदार अवसर को छोड़कर आगे नहीं बढ़ सकता।”

फिर नानक जी भाई बाला से सारे पैसे ले लिए और उन्हें पैसे देते हुए कहा, “मैं यह पैसा आपकी सेवा में दे रहा हूं।” उस हर्मिट् समूह के मुखिया ने जवाब दिया,

बेटा, यह धन हमारे लिए किसी काम का नहीं है। क्योंकि हम किसी गांव या शहरों में नहीं जाते हैं, हम हमेशा यहां जंगल में रहते हैं। यदि आप हमें भजन देते हैं, तो हम इसे स्वीकार करेंगे।

तब नानक जी और भाई बाला बाजार में जाकर भोजन और कपड़े खरीदे। नानक जी ने उन सभी को हर्मिट्स का समूह को पेशकश की और खली हाथ घर लौट गए।

नैतिक शिक्षा : अधिक पैसा कमाना लाभदायक हो सकता है, लेकिन सच्चा लाभ दूसरों की मदद करने में है।

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4. शेर और गरीब गुलाम Hindi story for class 9 with moral

शेर और गरीब गुलाम Hindi story for class 9 with moral
शेर और गरीब गुलाम – Hindi story for class 9 with moral

एक बार एक छोटी सी राज्यों में एक राजा रहते थे, राजा की बहुत गुलाम थी। राजा अपनी गुलामों के साथ बहुत खराब व्यवहार करती थी, कुछ काम को लेकर उन्हें मारती थी।

एक दिन एक गुलाम राजा से बचने के लिए वहां से भाग गई। उसने सोचा अगर मैं यहां रहूंगी तो सेनाओं ने मुझे पकड़ कर राजा के पास ले जाएगा, यह सोचकर गुलाम जंगल की ओर चली गई।

जंगल में जाते जाते उसने एक शेर की आवाज सुनी, वह शेर से डर के एक पेड़ के पीछे जाकर छुप गई। लेकिन शेर आवाज करते करते गुलाम के पास आया।

उसने देखा शेर की पैरों में कांटा फस गई थी, इसी कारण शेर लंगड़ा ते हुए उसके पास आया। फिर गुलाम धीरे धीरे शेर के पास गई, और शेर की पैरों में से कांटा निकाली।

फिर शेर गुलाम को धन्यवाद देकर वहां से चली गई, फिर गुलाम जंगल में घर बनाकर वहां रहने लगे। ऐसे ही कुछ दिन बीत गई, एक दिन राजा के कुछ सेनाओं ने जंगल में आया शिकार करने के लिए।

सेनाओं ने कुछ जानवरों को पकड़ कर पिंजरे में बंद करके लेकर गई राजा के पास। वहां एक सेना ने राजा को कहा, “महाराज जब हम शिकार करने के लिए गई थी, तब वहां जंगल में गुलाम को देखा।”

उसकी बात सुनकर राजा ने आदेश दिया उसे पकड़ने की, राजा की आदेश मानकर सेनाओं ने जंगल में गया। और गुलाम को पकड़ कर लेकर आया। राजा गुलाम को देख कर कहा,

“तो तुम हो जो यहां से भाग गई थी, तुम्हें तो सजा जरूर मिलेगी।” फिर राजा ने सेना को आदेश दिया, “इसे पकड़कर शेर के पिंजरे में डाल दो ताकि शेर को आज भरपेट खाना मिले।”

यह कहकर राजा ने वहां से चला गया। फिर सेनाओं ने गुलाम को पकड़कर शेर के पिंजरे में डालकर बाहर से बंद करके, अपनी अपनी कमरे में जाकर सो गई।

गुलाम डर के मारे पिंजरे के अंदर अपनी आंखें बंद करके शेर का इंतजार कर रही थी। तब शेर उसकी तरफ देखकर आवाज दी गुलाम बहुत डर गई, शेर ने उसे पहचान लिया था।

शेर पास जाकर उसकी पैर चाटने लगी, फिर गुलाम को याद आया। गुलाम पिंजरे से एक हाथ बाहर निकल कर एक पत्थर उठाई, और पत्थर से पिंजरे को तोड़कर शेर को बाहर निकाली।

उसके साथ बाकी सभी जानवरों को भी बाहर निकाली। फिर गुलाम ने जानवरों के साथ जंगल में जाकर रहने लगी, राजा की सेनाओं ने और कभी गुलाम को पकड़ नहीं पाई।

नैतिक शिक्षा : दूसरों की जरूरत में हमें हमेशा मदद करना चाहिए।

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5. एक साड़ी की कीमत Best Moral Stories in Hindi for class 9

एक साड़ी की कीमत Best Moral Stories in Hindi for class 9
एक साड़ी की कीमत – Best Moral Stories in Hindi for class 9

एक बार की बात है, श्री लाल बहादुर शास्त्री एक कपड़ा मिल में गए। और उनके साथ मिल के मालिक भी थे। मिल के आसपास देखने के बाद शास्त्री जी उस मिल के गोदाम देखने गए।

वहां उन्होंने कुछ साड़ी देखा, शास्त्री जी मिल के मालिक से उन्हें कुछ साड़ी दिखाने का अनुरोध किया। मालिक उसके अनुरोध से खुश था। और उसने अपने कर्मचारी को

उसके लिए सबसे अच्छी साड़ी लाने के लिए कहां, कर्मचारी ने उसे विभिन्न प्रकार की साड़ियां दिखाई। शास्त्री जी ने उन साड़ी में से एक को पसंद किया, और मालिक से इसकी कीमत पूछी।

मिल मालिक ने बताया कि उस साड़ी की कीमत ₹800 है। शास्त्री जी ने कहा, “यह बहुत महंगा है क्या आप मुझे वह साड़ियां दिखा सकते हैं जो थोड़ा कम महंगा है।”

मालिक ने कर्मचारी को उससे कम महंगी साड़ी लाने के लिए कहां। मिल मालिक ने उसे अन्य साड़ियों को दिखाना शुरू किया। जैसे कि ₹500, ₹400 वाला। लेकिन शास्त्री जी ने कहा,

अभी भी बहुत महंगी है, इससे सस्ती साड़ियां है, मेरे जैसा गरीब व्यक्ति के लिए। मालिक उसकी प्रतिक्रिया से आश्चर्यचकित था। उसने कहां, “आप भारत के प्रधानमंत्री हैं,

आप को गरीब कैसे कहा जा सकता है? इसके अलावा आपको साड़ी के लिए पैसा नहीं देना होगा, यह आपके लिए एक उपहार है।” शास्त्री जी ने उत्तर दिया, “नहीं मेरे प्यारे दोस्त,

मैं इस तरह के महंगे उपहार शिकार नहीं कर सकता। क्योंकि मैं प्रधानमंत्री हो सकता हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मुझे उन सभी चीजों को शिकार करना चाहिए,

जो मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता। हालांकि मैं एक प्रधानमंत्री हूं लेकिन मैं सीमित समय के लिए हूं, कृपया मुझे कुछ सस्ती साड़ियां दिखाएँ, जिन्हें मैं खरीद सकता हूं।”

अंत में शास्त्री जी ने अपनी पत्नी के लिए एक सस्ती साड़ी खरीदी, जो खरीद सकते थे। लाल बहादुर शास्त्री जी इतने ईमानदार और नेक थे, प्रलोभन उसे बिल्कुल भी दबा नहीं सकता था।

नैतिक शिक्षा : सच्चा और ईमानदारी को हमेशा पुरस्कृत किया जाता है।

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6. लोमड़ी और खट्टे अंगूर Best Moral story in Hindi for class 9

लोमड़ी और खट्टे अंगूर Best Moral story in Hindi for class 9
लोमड़ी और खट्टे अंगूर – Best Moral story in Hindi for class 9

एक बार की बात है, एक घने जंगल में एक लोमड़ी रहती थी एक बार दोपहर को लोमड़ी खाने की खोज में जंगल में गई थी। वह कुछ दिनों से भूखा थे, उसे कुछ दिनों से भजन नहीं मिली थी।

इसीलिए लोमड़ी भोजन की खोज में वहां गई थी, लेकिन खाने को कुछ भी नहीं मिली थी। लोमड़ी भजन की खोज करते करते बीमार हो गई थी, उसकी शरीफ पर शक्ति नहीं था।

फिर लोमड़ी को एक अंगूर का पेड़ दिखा, लोमड़ी ने सोचा यह अंगूर तो बहुत स्वादिष्ट और मीठा होगी। अंगूर को देखते ही मुंह में पानी आ गई, शायद मेरी भूख मिटेगी यह अंगूर फल खाकर।

यह सोचकर लोमड़ी पेड़ के पास गया। और जोर से कूदा अंगूर की तरफ लेकिन अंगूर बहुत ऊपर थी, लोमड़ी अंगूर तक पहुंच नहीं पाया।

फिर लोमड़ी दो कदम पीछे जाकर फिर से कूदा अंगूर की तरफ लेकिन अंगूर तक पहुंच नहीं पाया। लोमड़ी को अंगूर खाने का बहुत इच्छा थी, वह फिर से चार कदम पीछे जाकर जोर से कूदा अंगूर की तरफ।

लेकिन इस बार वह वहां से फिसल कर नीचे गिरी, उसके पैरों में बहुत चोट आई। लोमड़ी नीचे बैठकर अंगूर को देखते देखते सोच रहा था। ‘अंगूर तो बहुत ऊपर है, मैं शायद अंगूर तक पहुंच नहीं पाऊंगा।

और मुझे लगता है अंगूर अभी तक पके नहीं है। यह तो जरूर कच्चा और खट्टा होगी, मुझे तो यह खट्टा अंगूर खाना नहीं चाहिए।” फिर लोमड़ी बहा  से जा रही थी,

तब एक खरगोश ने लोमड़ी को देखा यह सब करते हुए। खरगोश ने लोमड़ी को कहा, “लोमड़ी भाई आप इतनी कोशिश करने के बाद भी अंगूर को छू नहीं पाया?”

लोमड़ी ने कहा “नहीं नहीं यह अंगूर तो खट्टा है, इसलिए मैं अंगूर खाए बिना यहां से जा रही थी” खरगोश लोमड़ी की बात सुनकर हंसी, और उसने एक लता को लेकर

रस्सी जैसा घुमा घुमा कर अंगूर की तरफ फेंकी, और यह लता अंगूर में अटक गई। फिर खरगोश लता को जोर से खींची और अंगूर आ कर नीचे गिर पड़ी।

खरगोश अंगूर को उठाकर खाने लगा और कहा, “अंगूर तो बहुत मीठा है आज मेरी पेट भर गई” यह बोलकर खरगोश वहां से चली गई। और लोमड़ी वहां बैठे बैठे देखती रही।

नैतिक शिक्षा : आपके असफलता के लिए आप किसी और को दोष नहीं दे सकते।

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7. पति पत्नी का प्यार Moral Stories in Hindi for class 9 with pictures

पति पत्नी का प्यार Moral Stories in Hindi for class 9 with pictures
पति पत्नी का प्यार – Moral Stories in Hindi for class 9 with pictures

एक बार एक शहर में एक आदमी रहता था, जिसकी शादी एक बहुत ही खूबसूरत लड़की के साथ हुई थी। शहर में हर कोई उसकी पत्नी की सुंदरता के लिए उसकी तारीफ करता था।

यह देखकर पति पत्नी को गर्व महसूस हुई, दोनों सुखी जीवन बिताने लगे। कुछ सालों के बाद, पत्नी ने एक दुर्लभ त्वचा रोगों से संक्रमित हो गई। उन्होंने कुछ डॉक्टर के पास गई

लेकिन कोई भी उसकी बीमार का इलाज नहीं कर पाया। जब पत्नी को पता चला वह बीमार के कारण अपनी सुंदरता खो देगी। वह इस बात से डरी हुई थी, कि अपनी पति का प्यार खो देगी।

पति ने उसे रोज खुश करने की कोशिश की। लेकिन वह हमेशा दुखी रहती, और अपने पति के सामने जाने से डरती थी। फिर एक दिन पति किसी काम के लिए, शहर से बाहर गया था।

वापस लौटते समय उसके साथ एक दुर्घटना हुई, उस दुर्घटना में उसकी दोनों आंखें की रोशनी चली गई। पत्नी को बहुत बुरा लगा, लेकिन समय के साथ वे दोनों सामान्य जीवन जीना सीख गए।

वह अब अपने पति से नहीं बच सकती थी। हर समय उसके साथ रहती थी, और काम में उसकी मदद करती थी। ऐसे ही कुछ साल बीत गए, वह दोनों अब बुड्ढा हो गया था।

फिर एक दिन पत्नी की मृत्यु हो गई, और पति अकेला हो गया। पति पत्नी से बहुत प्यार करता था, और अब वह उस जगह पर नहीं रहना चाहता था। इसलिए अंतिम संस्कार करने के बाद।

उन्होंने इस शहर को छोड़ने की तैयारी की। जाने से ठीक पहले एक पड़ोसी उसके पास आया और कहा, “क्या तुम अकेला रह पाओगे? इतने सालों से आपकी पत्नी आपके साथ रहे।

आप किसी के मदद के बिना इधर उधर जा पाओगे?” पति ने जवाब दिया, “मैं अंधा नहीं हूं, मैंने सिर्फ अंधे होने का नाटक किया। क्योंकि अगर मेरी पत्नी को पता होता कि,

मैं उसकी सबसे खराब स्थिति देख सकता हूं, तो वह ज्यादा घायल होता। मेरी पत्नी पहले से ही बहुत दर्द में थी, और मैं उसे किसी और दर्द में नहीं देखना चाहती थी।

इसीलिए मैं इतने सालों तक अंधे होने का नाटक किया। वह मेरी बहुत अच्छी पत्नी थी, और मैं चाहता था कि वह हमेशा खुश रहे।

नैतिक शिक्षा : रिश्ता केवल सुंदर चेहरा के लिए नहीं है, बल्कि दोनों एक दूसरे के लिए है।

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8. स्कूल में स्वामी विवेकानंद Top Moral story in Hindi for class 9 short

स्कूल में स्वामी विवेकानंद Top Moral story in Hindi for class 9 short
स्कूल में स्वामी विवेकानंद Top Moral story in Hindi for class 9 short

एक बार की बात है, एक बार स्कूल टिफिन के दौरान नरेंद्र (स्वामी विवेकानंद) अपने दोस्तों के साथ बात कर रहे थे। और हर कोई उन्हें इतनी ध्यान में सुन रहा था।

कि उन्हें पता नहीं था, उनके आसपास क्या हो रहा है। फिर टिफिन समाप्त हो गया और शिक्षक कक्षा में प्रवेश करके पढ़ाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद शिक्षक ने कुछ आवाज सुनी,

और देखा कि कुछ छात्रों पीछे बैठे बातें कर रहे थे। शिक्षक इससे नाराज हो गए और उन्होंने छात्रों से पूछना शुरू किया कि वह कक्षा में क्या पढ़ा रहे हैं।

लेकिन कक्षा में कोई भी उनका उत्तर नहीं दे पाया। फिर जब शिक्षक नरेंद्र से सवाल किया, तब नरेंद्र ने प्रत्येक प्रश्न का सही जवाब दिया। और फिर शिक्षक ने इस बारे में पूछताछ की,

कि कौन एक छात्रों था जो दूसरों से बातें कर रहा था। कक्षा में सभी छात्र नरेंद्र की ओर इशारा किया लेकिन शिक्षक ने यह मानने से इनकार कर दिया।

क्योंकि वह केवल एक ही था, जिसने सभी प्रश्नों का सही ढंग से उत्तर दिया। शिक्षक को लगा कि सभी झूठ बोल रहे हैं, इसीलिए उन्होंने पूरे कक्षा को दंडित किया।

सिर्फ नरेंद्र को छोड़कर, बाकी सभी को सजा के रूप में बेंच पर खड़े रहने के लिए कहा। फिर भी नरेंद्र अपने दोस्तों के साथ गया, और अन्य छात्रों के साथ बेंच पर खड़ा हो गया।

शिक्षक ने उसे नीचे आने के लिए कहा। लेकिन नरेंद्र ने कहा, “नहीं सर मुझे भी खरा रहना चाहिए क्योंकि मैं वही था जो उनसे बात कर रहा था।”

नैतिक शिक्षा : हमें कक्षा में हमेशा अपनी ध्यान पढ़ाई में देना चाहिए।

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9. खूनी झील Long Moral stories in Hindi for class 9

खूनी झील Long Moral stories in Hindi for class 9
खूनी झील – Long Moral stories in Hindi for class 9

वीरपुर के जंगल में सभी जानवर एक साथ मिलजुल कर रहता था, उस जंगल में एक झील था। सभी जानवर का यह मानना था वह एक खूनी झील है, लेकिन जंगल में पानी पीने के लिए और कोई भी रास्ता नहीं था।

इसीलिए सभी जानवर को पानी पीने के लिए उसी झील में जाना पड़ता था। सभी जानवर दिन में पानी पीने के लिए जाता था। शाम को कोई भी पानी पीने के लिए उस झील में नहीं जाता था।

क्योंकि शाम को जो भी जानवर पानी पीने के लिए जाता था, वह और कभी लौटकर नहीं आता था। इसीलिए जंगल में सभी जानवर झील के पास अकेला जाने से डरता था।

एक दिन एक हिरण दूसरे जंगल से इस जंगल में रहने के लिए आया। वहां एक पेड़ में एक बंदर रहता था। वह हिरन को अकेला देखकर उससे पूछा, “अरे हिरण भाई तुम कहां से आए हो?

तुम्हारा नाम क्या है? आज से पहले तुम्हें इस जंगल में कभी नहीं देखा।” हिरण ने उत्तर दिया, “मेरा नाम चिन्नू है, मैं पास के जंगल से आया हूं, मैं इस जंगल में रहने के लिए आया।

“अच्छा तो ठीक है, इस जंगल के सभी जानवर बहुत ही अच्छा है। वह सब तुमसे दोस्ती करेगा। अभी तुम थोड़ा आराम कर लो शाम को मैं तुम्हें सभी जानवर से मिलाती हूं।

अगर तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बुला लेना, मैं सामने ही पेड़ पर रहती हूं रहता हूं।” हिरण ने कहा, “वह तो ठीक है बंदर भाई तुम्हारा नाम तो बताओ मैं तुम्हें बुलाऊंगा कैसे। और हां यहां पानी पीने के लिए कोई नदी या झील है क्या?”

बंदर ने कहा, “माफ करना मेरा नाम जग्गू है, पास में एक झील है तुम वहां जाकर पानी पी सकते हो।”  शाम होने पर जग्गू बंदर हिरण को जंगल के सभी जानवर से मिलवाता है।

तभी हिरण की दोस्ती एक खरगोश से होती है, समय के साथ हिरण और खरगोश की दोस्ती गहरी होती जाती है। एक दिन हिरण पानी पीने के लिए उस झील में गया।

हिरण को झील के पानी में एक मगरमच्छ दिखाई दी, हिरण मगरमच्छ को देखकर कांपने लगा। किसी तरह जान बचाकर वहां से जंगल की ओर भागा, रास्ते में उसे खरगोश मिली।

हिरण खरगोश को मगरमच्छ के बारे में बताइए। खरगोश ने कहा, “चिन्नू भाई क्या तुम नहीं जानते हो वह एक खूनी झील है, तुम्हें शाम को वहां नहीं जाना चाहिए था।” तभी वहां जग्गू बंदर आया।

हिरण बंदर को सभी बात खोल कर बताती है। जग्गू बंदर ने कहा, “मुझे माफ करना हिरण भाई मैं तुम्हें उस खूनी झील के बारे में बताना भूल गया।” हिरण ने कहा, “ठीक है बंदर भाई आज के बाद अकेला उस चीज में कभी नहीं जाऊंगा।”

फिर खरगोश ने सारी रात यह सोचने लगी, “खूनी झील में मगरमच्छ आया कहां से। इसका मतलब कोई भी जानवर उस झील में गायब नहीं होती, उसे मगरमच्छ ने खा लेता है।

इस मगरमच्छ की कहानी सबके सामने लाना ही पड़ेगा।” खरगोश ने मगरमच्छ का सच सबके सामने लाने के लिए अगले दिन सुबह सबके साथ उस झील में गया।

मगरमच्छ सभी जानवर को एक साथ आते हुए देख कर डर जाता है। इसीलिए पानी के अंदर ऐसे चुप गया जैसे कि वह एक पत्थर है। उसे देखकर खरगोश ने कहा, “यह पत्थर कहां से आया।

पहले तो यहां कुछ भी नहीं था, नहीं नहीं वह पत्थर नहीं है वह मगरमच्छ ही है।” कोई भी जानवर उसकी बातों का यकीन नहीं करता, खरगोश नहीं है मगरमच्छ की तरकीब समझ जाता है।

इसीलिए खरगोश की मन में एक विचार आया, “अरे यह तो पत्थर ही है, लेकिन इस बात का यकीन तब करूंगा जब पत्थर अपना परिचय खुद देगा।” खरगोश की बात सुनते ही मगरमच्छ ने कहां,

“हां मैं एक पत्थर हूं यहां कोई भी मगरमच्छ नहीं रहता, यहां तो बस मैं ही रहता हूं।” फिर खरगोश ने कहा “हा हा हा बेवकूफ मगरमच्छ यह भी नहीं जानता पत्थर बोलते नहीं है चल बाहर निकल।

सभी जानवर समझ जाता है, और सभी मिलकर मगरमच्छ को झील से भगा देता है। फिर सभी जानवर जंगल में एक साथ लौट गया और खुशी खुशी रहने लगा।

नैतिक शिक्षा : हमें हमेशा अपने विवेक से काम लेना चाहिए।

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10. सालाह देना Hindi moral stories for class 9

सालाह देना Hindi moral stories for class 9
सालाह देना – Hindi moral stories for class 9

एक बार एक छोटा लड़का मिठाई खाने का जुनून सवार हो गया। अधिक मिठाई खाने के कारण उनकी मां चिंतित थे। और उसे खाने से रोकने के लिए कई तरीके आजमाएं लेकिन कुछ काम नहीं हुआ।

निकट गांव में एक बुद्धिमान व्यक्ति रहता था, जिसे सभी लोग सम्मान करता था। एक दिन उसकी मां उसे बुद्धिमान व्यक्ति के पास ले जाने का फैसला किया।

इस उम्मीद में कि उसका बेटा उसकी बात माने। फिर मां अपने बेटे के साथ बुद्धिमान व्यक्ति के पास गया और उनसे कहा, “मेरा बेटा हर बार मिठाई खाता चाहता है,

क्या आप उसे बताएंगे, कि यह उनके शहद के लिए बुरा है।” उसकी बात सुनने के बाद बुद्धिमान व्यक्ति कुछ देर सोचा, और उस समय उस लड़के को कोई भी सलाह नहीं दिया।

उसने उसकी मां को एक महीने बाद वापस आने के लिए कहा, फिर एक महीने बाद मां बेटे को लेकर बुद्धिमान व्यक्ति के पास आया। इस बार बुद्धिमान व्यक्ति ने लड़के को लेकर टहलने गया।

उन्होंने लड़के की ओर देखा और कहा, “लड़का तुम्हें मिठाई खाना बंद कर देना चाहिए। क्योंकि यह तुम्हारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।” लड़के ने सिर हिलाया,

और वादा किया कि वह अब मिठाई नहीं खाएगा। इसके बाद मां अपने बेटे के साथ चली गई। कुछ दिनों बाद वह बुद्धिमान व्यक्ति के पास लौटी और बोली, “आपकी मदद के लिए धन्यवाद।

लड़के ने अपना वादा निभाया है और तब से मिठाई नहीं खाई है।” वह एक बात को लेकर उत्सुक थी। इसीलिए बुद्धिमान व्यक्ति से पूछा, “जब हम पहली बार तुम्हारे पास आई थी,

तो आप मेरे बेटे को मिठाई खाना बंद करने के लिए क्यों नहीं कहा था। आपने मुझे एक महीने बाद वापस आने के लिए क्यों कहा?” बुद्धिमान व्यक्ति ने मुस्कुराया और जवाब दिया।

“उस समय मैं खुद मिठाई खाता था, और मुझे यह बताने का अधिकार नहीं था। लेकिन अब मैं मिठाई नहीं खाता हूं इसीलिए मैं सक्षम था, आपकी बच्चे को बताने के लिए।”

नैतिक शिक्षा : हमेशा सुनिश्चित करें कि आपकी क्रिया आपके शब्दों से मेल खाती है या नहीं।

 

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तो दोस्तों हम आशा करते हैं, कि आपको 10 Short Hindi moral stories for class 8 पढ़कर जरूर अच्छी लगी होगी और कृपया करके इन नैतिक कहानियाँ को आप अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर जरूर करें।

ताकि हर कोई इन मजेदार शिक्षावर्धक कहानियों को पढ़ सके। हमारे आज के विषय Moral stories in Hindi for class 8 तो पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

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